तुम्हारे ह्रदय को सरस चाहता हूँ ,
सफलता भरा हर दिवस चाहता हूँ|
तुम्हें बंचकों से बचाए रखे जो -
उसी चेतना का निकष चाहता हूँ |
सदा बाँटने से बढे और भी जो-
उसी प्रेम का रसकलश चाहता हूँ |
\
किसी बात का है गिला बोलिए तो-
चलाना खुली मैं बहस चाहता हूँ |
तिरंगा लिए विश्व जब साथ में हो -
वही देखना नव बरस चाहता हूँ |
तुकाराम ने तो यही प्रार्थना की -
सदा मैं सभी का सुयश चाहता हूँ |
सफलता भरा हर दिवस चाहता हूँ|
तुम्हें बंचकों से बचाए रखे जो -
उसी चेतना का निकष चाहता हूँ |
सदा बाँटने से बढे और भी जो-
उसी प्रेम का रसकलश चाहता हूँ |
\
किसी बात का है गिला बोलिए तो-
चलाना खुली मैं बहस चाहता हूँ |
तिरंगा लिए विश्व जब साथ में हो -
वही देखना नव बरस चाहता हूँ |
तुकाराम ने तो यही प्रार्थना की -
सदा मैं सभी का सुयश चाहता हूँ |