Friday, June 29, 2012

कुछ लोगों ने कुछ लोगों के लिए विकास किया|
जिनकी सर्वोदयी सोच है , उन्हें निराश किया||

जाति वर्ग मजहबी ख्याल का,भाषण गूंज रहा|
इनको अपना कहा उन्होंने, उनको गैर कहा||
राष्ट्र प्रगति के उद्द्योगों का सतत विनाश किया|
जिनकी सर्वोदयी सोच है , उन्हें निराश किया||

सामाजिक सदभाव बिगाड़ा,जन -धन लूट लिया|
छलियों बलियों के दल-दल ने,धोखा नित्य दिया||
झोपड़ियों में तिमिर महल में,नवल प्रकाश किया|
जिनकी सर्वोदयी सोच है , उन्हें निराश किया||

राजनीति में अफसरशाही,आँख तरेर रही|
चाट रही नवनीत अकेले मथकर न्याय दही||
भोग बिलासी महानगर ने,गाँव उदास किया|
जिनकी सर्वोदयी सोच है , उन्हें निराश किया||

Thursday, June 28, 2012

कुछ लोगों ने कुछ लोगों के लिए विकास किया|
जिनकी सर्वोदयी सोच है , उन्हें निराश किया||

जाति वर्ग मजहबी ख्याल का,भाषण गूंज रहा|
इनको अपना कहा उन्होंने, उनको गैर कहा||
राष्ट्र प्रगति के उद्द्योगों का सतत विनाश किया|
जिनकी सर्वोदयी सोच है , उन्हें निराश किया||

सामाजिक सदभाव बिगाड़ा,जन -धन लूट लिया|
छलियों बलियों के दल-दल ने,धोखा नित्य दिया||
झोपड़ियों में तिमिर महल में,नवल प्रकाश किया|
जिनकी सर्वोदयी सोच है , उन्हें निराश किया||

राजनीति में अफसरशाही,आँख तरेर रही|
चाट रही नवनीत अकेले मथकर न्याय दही||
भोग बिलासी महानगर ने,गाँव उदास किया|
जिनकी सर्वोदयी सोच है , उन्हें निराश किया||

Sunday, June 24, 2012

प्रीति-रीति में असह शब्द,अनवरत कहें फिरभी ,
प्यार तुम्हारे लिए ह्रदय में, बहता रहता है |

स्वार्थसिद्धि का सूत्र न जाना,तज न सका सहकार निभाना,
फिरभी निराधार शंका ने,क्षमाहीन अपराधी माना|
द्वेष-दम्भ के वाण सहस्रों बार सहे फिरभी,
प्यार तुम्हारे लिए ह्रदय में, बहता रहता है |

भलीभाँति जाने पहचाने,लगने लगे अधिक अनजाने,
बारम्बार वियोगी मन को,रुला रहे सम्बन्ध पुराने|
स्नेह भाव के नहीं अल्प उपहार गहे फिरभी,
प्यार तुम्हारे लिए ह्रदय में, बहता रहता है |

स्वयं सभी कुछ सह लेता हूँ,जीवन नौका यों खेता हूँ,
लाख अभावों में रहकर भी,नहीं किसी को दुख देता हूँ|
साथ-साथ में नित्य बने लाचार रहे फिरभी,
प्यार तुम्हारे लिए ह्रदय में, बहता रहता है |