युगों से राजधानी की वसीयत आपने पायी,
विषैली सोच से उपजी नसीहत आपने पायी,
कराती आदमी से आदमी को दूर जो बोली-
वही शैतानियत प्रेरित शरारत आपने पायी|
न अपने आपको मानो मसीहा सेवकाई का-
भलों को रौंदने वाली तबीयत आपने पायी|
नहीं जाने सदाशयता दया करुणा भलाई जो,
वही उदण्डता ध्वंसक जहालत आपने पायी|
सभी समकक्ष हैं आज़ाद भारत के सभी वासी,
इन्हें क्यों गैर कहने की हमाक़त आपने पायी?
इसे बर्बाद मत करिये धरोहर है बुजुर्गों की,
हिफ़ाज़त कीजिये इसकी अमानत आपने पायी|
तुका ने है कहा इतना सदा बेखौफ दुनिया से,
नहीं सहकार करने की रिफाक़त आपने पायी|
विषैली सोच से उपजी नसीहत आपने पायी,
कराती आदमी से आदमी को दूर जो बोली-
वही शैतानियत प्रेरित शरारत आपने पायी|
न अपने आपको मानो मसीहा सेवकाई का-
भलों को रौंदने वाली तबीयत आपने पायी|
नहीं जाने सदाशयता दया करुणा भलाई जो,
वही उदण्डता ध्वंसक जहालत आपने पायी|
सभी समकक्ष हैं आज़ाद भारत के सभी वासी,
इन्हें क्यों गैर कहने की हमाक़त आपने पायी?
इसे बर्बाद मत करिये धरोहर है बुजुर्गों की,
हिफ़ाज़त कीजिये इसकी अमानत आपने पायी|
तुका ने है कहा इतना सदा बेखौफ दुनिया से,
नहीं सहकार करने की रिफाक़त आपने पायी|