Sunday, June 18, 2017

जीवन की सच्चाई कहना

######### एक गीत #########
जीवन की सच्चाई कहना, कवि ने सीखा है जाना है।
प्रतिकूल मौसमों में रहना, कवि ने सीखा है जाना है।।
जाड़ा गर्मी बरसात मिले,काँटे हों चाहे फूल खिले।
मैदान पहाड़ वादियों में, देखे हैं ऊँचे महल किले।
इनके हित सरिता सा बहना, कवि ने सीखा है जाना है।
प्रतिकूल मौसमों में रहना, कवि ने सीखा है जाना है।।
ये जाति-धर्म की बीमारी, अत्याचारी भ्रष्टाचारी।
सुखचैन छीनते सदा रहे, ठग व्यापारी सत्ताधारी।
दुख-सुख को एक भाव सहना, कवि ने सीखा है जाना है।
प्रतिकूल मौसमों में रहना, कवि ने सीखा है जाना है।।
माना यह दौर तुम्हारा है, धन वैभव लगता प्यारा है।
पर काव्य धर्म ने दुनिया की, छवि को कुछ और साँवरा है।
भूखे-प्यासों के कर गहना, कवि ने सीखा है जाना है।
प्रतिकूल मौसमों में रहना, कवि ने सीखा है जाना है।।