Wednesday, June 29, 2011

मन धो नहीं सके

मन धो नहीं  सके  वदन  बुहारते रहे ,
नफरत  भरी   विभावना  उभारते रहे |
धन लूटकर अपार गेह बैंक भर लिया ,
पर  और  और  और हो  पुकारते  रहे ||


Saturday, June 25, 2011

समझ इंसानियत आये

निकल शैतानियत जाये  समझ  इंसानियत  आये ,
सियासी  जिंदगी  की  सोच  में  कुर्वानियत  आये ,
किया है बादशाहत को बमुश्किल दफ़्न हम सबने --
हमारे  देश   में   फिरसे  नहीं   हैवानियत  आये |

Tuesday, June 21, 2011

खुशामद पसंदी

ठंगी  की  कहानी  बड़ी  रस   भरी  है ,   
शराफत   मुरव्वत   किनारे   धरी  है |
उचक्के   दिखाने   लगे    हैं  अंगूठा ,
बड़ी  दिक्कतों  में फंसी  अफसरी है |
जहाँ  भी   निरंकुश  रहता  प्रशासन ,
वहीँ  लोककल्याण  की  कमतरी  है |
बढ़ी इस कदर अब  खुशामद  पसंदी, 
कि कमजोर जनता पड़ी अधमरी है |
जहाँ  जा  रहा   है   चढ़ावा   चढ़ाया ,
वहां  हो   रही   बेतरह   तस्करी  है |      
व्यवस्था  उसे   चैन  लेने   न  देती ,
तुकाराम  जो बात  कहता   खरी है |


Monday, June 20, 2011

संविधान का दायरा

संविधान  का दायरा , संसदीय अधिकार |
भारत के  उत्थान का ,यही   मूल  आधार||

बच्चों की  वलि  दे  रहे , पूज  रहें पाषाण |
महिलायों  को  डायनें, कहते  हरते  प्राण ||

धनपशुओं की दासता,जिनको है स्वीकार |
उनके  हाथों  होयगा , सोचो कौन सुधार ||