लगते रुतबेदार कि चोरी कर करके,
बनवाते सरकार कि चोरी कर करके|
बनवाते सरकार कि चोरी कर करके|
हँसते-हँसते लोग कह रहे हैं उनकी,
महिमा अपरम्पार कि चोरी कर करके|
महिमा अपरम्पार कि चोरी कर करके|
नभ को छूता आँख दिखता वो देखो,
इठलाये घरद्वार कि चोरी कर करके|
इठलाये घरद्वार कि चोरी कर करके|
इतना पसरा जाल उन्हें कुछ कहते यों,
परमेश्वर अवतार कि चोरी कर करके|
परमेश्वर अवतार कि चोरी कर करके|
जग तो समझे संत इसलिए दिखलाकर,
बँटवाते उपहार कि चोरी कर करके|
बँटवाते उपहार कि चोरी कर करके|
किसमें बूता आज तुका जो कहे रचा,
कविता का संसार कि चोरी कर करके||
कविता का संसार कि चोरी कर करके||