Monday, January 26, 2015

ये लोकतंत्र है


ये लोकतंत्र है लोकतंत्र, दुनिया में छायेगा|
जो पीछे आज खड़ा है, कल आगे आयेगा||
सहजोरी अत्याचारी, ये नफ़रत की बीमारी,
छू उनको कभी न सकती, जो सच्चे प्रेम प्रभारी|
जो गया सताया जितना, वह उतना मुस्कायेगा|
जो पीछे आज खड़ा है, कल आगे आयेगा||
आन्यायी पर्वत जैसा, धनपशु हो चाहे कैसा,
सब होंगे मानव जैसे, आयेगा दिन भी ऐसा|
सच को सच कहने वाला, जन-मन हो जायेगा| 
जो पीछे आज खड़ा है, कल आगे आयेगा||
ये अपने और पराये, ये सत्ता सुख के साये,
निश्चय वे निष्क्रिय होंगे, जो भी विभेद उपजाये|
जीवन प्रकाश को कोई, तम निगल न पायेगा|
जो पीछे आज खड़ा है, कल आगे आयेगा||

Tuesday, January 20, 2015


एक गीत:-
पुलिस कमिश्नर सी.एम, होंगे, मंत्री थानेदार|
मुसीबत में अब ठेकेदार|
मुसीबत में अब ठेकेदार||
जो चलवाते रहे लाठियाँ, जो दिलवाते रहे गालियाँ,
मजमेबाजी करके जिसने, बजबायीं हैं खूब तालियाँ|
लोकतंत्र पर फिर चलने को, डन्डे हैं तैयार|
मुसीबत में अब ठेकेदार|
मुसीबत में अब ठेकेदार||
छीना-झपटी खींचा-तानी, जिनकी आदत में मनमानी,
सम्विधान के अनुपालन में, जो करते बस आनाकानी|
जय-जयकार कराते अपनी, करके असत प्रचार|
मुसीबत में अब ठेकेदार|
मुसीबत में अब ठेकेदार||
सुविधाभोगी अवसरवादी, परसेवा लेने के आदी,
अपने जीवन के बोझे की, गठरी कमजोरों पर लादी|
धनवानों के पैर दबायें, निर्धन को दुत्कार|
मुसीबत में अब ठेकेदार|
मुसीबत में अब ठेकेदार||