सदा डालरों के पते खोजता है,
हमारे लिए वो कहाँ सोचता है|
उसे फिक्र है आसमानी जहाँ की,
ठगों को न कोई कभी टोकता है|
कहा जा रहा है उसे ईश जैसा,
मगर देखता वो न इसमें खता है|
उसे मान लेना कि है राजनेता
नहीं वो करे कार्य जो बोलता है|
तुका जो बजाते नहीं हैं नगाड़े,
प्रशासन उन्हें तो नहीं
पूछता है|