Thursday, August 5, 2021

ठगों के रूप

ठगों के रूप लाखों हैं ठगी से बच नहीं सकते।
खलों को न्याय के नुसखे कभी भी पच नहीं सकते।।
तुम्हें जो लाभ पहुँचाते उन्हीं के हाथ में ख़ंजर,
उन्हें जो मोहते हैं स्वाँग वो तुम रच नहीं सकते।
जमाने में शरीफ़ों की कई मजबूरियाँ होतीं,
भरे बाज़ार में निर्वस्त्र वो तो नच नहीं सकते।
जिन्हें बस लूटने हैं वोट सत्ता के लिए वो तो,
किसी भी भाँति मंचों से कभी कह सच नहीं सकते।
ख़ुशी से राह चुन ली है जिन्होंने खुद सदाचारी,

तुका वो तो किसी को दे कभी लालच नहीं सकते।