कुछ लोग मुहब्बत के घर में नफ़रत की बातें करते हैं,
कुछ नफ़रत सहके भी हरदम चाहत की बातें करते हैं|
इज्जत को लूट रहे जो वे इज्जत की बातें करते हैं,
खलनायक तो व्यवहार हीन आदत की बातें करते हैं|
वे नायक हैं व्यावहार हीन उल्फ़त की बातें करते हैं,
जिसकी न इबारत पढ़ सकते उस खत की बातें करते हैं|
इस दुनिया का दस्तूर यही थोड़ा-सा अर्थ चढ़ा करके,
ईश्वर से अधिक चाहने को मिन्नत की बातें करते हैं|
उन लोगो को सम्मान लाभ जनता से मिलता रहता जो,
नेताओं के घर पर जाने- आने की कसरत की बाते करते हैं|
उनके लेखन को मान ‘तुका’ किस भाँति दिया जा सकता जो,
साहित्यकार हो करके भी दौलत की बातें करते हैं|