Saturday, August 1, 2020

तालाबंदी

जय जय करके दास बन गये।
धन पशुओं की घास बन गये।।

कोरोना से लड़ते - लड़ते ,
बहुत लोग इतिहास बन गये।

दिया आपदा ने अवसर जो,
वो उस कारण ख़ास बन गये।

बाज़ारों को खुली छूट है,
ठग के पाँच पचास बन गये।

इन के गिरे घरौंदे तो फिर,
उनके नये निवास बन गये।

नोटों से तालाबन्दी में,
लाखों फ़र्ज़ी पास बन गये,

देख -देख करके  परपीड़ा,
तुकाराम चौमास बन गये।

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