Saturday, August 1, 2020

अर्थतंत्र की दुनिया

अर्थतंत्र की इस दुनिया में, सच्चाई को ठौर कहाँ?
राजनीति में जो हैं जैसे, उनसे अच्छे और कहाँ?
शैतानों की मनमानी से,कौन कभी लड़ पाया है,
जिसने किया परास्त विरोधी वो विजयी कहलाया है।
युद्ध भूमि में न्यायनीति पर, योद्धा करते गौर कहाँ?
राजनीति में जो हैं जैसे, उनसे अच्छे और कहाँ?
सत्ता का स्वरूप होता है, शक्तिशालियों की रक्षा,
धर्मराज्य में बराबरी की, कहीं नहीं लगती कक्षा।
जो गरीब की ढके आबरू, ऐसी नैतिक सौर कहाँ?
राजनीति में जो हैं जैसे, उनसे अच्छे और कहाँ?
देखो भी तो लोकतंत्र में,सब कुबेर के अफ़सर हैं,
चलता है आदेश उन्हीं का,वो ही तो परमेश्वर हैं।
जो विधान संगत है उसके, अनुपालन का तौर कहाँ?
राजनीति में जो हैं जैसे, उनसे अच्छे और कहाँ?

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