लाखों भूखे हैं प्यासे हैं,मगर न चोरी करते हैं।
बड़के लोग ग़रीबों से क्यों,सीनाज़ोरी करते हैं?
बड़के लोग ग़रीबों से क्यों,सीनाज़ोरी करते हैं?
कमज़ोरों के घास फूस के,डेरे रौंदे जाते हैं।
शैतानों के सत्ता से क्यों,होते रिश्ते-नाते हैं?
दण्डित कभी न वो होते जो,रिश्वतखोरी करते हैं।
बड़के लोग ग़रीबों से क्यों,सीनाज़ोरी करते हैं?
शैतानों के सत्ता से क्यों,होते रिश्ते-नाते हैं?
दण्डित कभी न वो होते जो,रिश्वतखोरी करते हैं।
बड़के लोग ग़रीबों से क्यों,सीनाज़ोरी करते हैं?
इन्सानों की इस दुनिया में,सब इन्सान बराबर हैं।
फिरभी लुटते पिटते रहते,शोषित दलित सरासर हैं।।
क्यों मिलते अधिकार उन्हें जो,ठगी चिरोरी करते हैं।
बड़के लोग ग़रीबों से क्यों,सीनाज़ोरी करते हैं?
फिरभी लुटते पिटते रहते,शोषित दलित सरासर हैं।।
क्यों मिलते अधिकार उन्हें जो,ठगी चिरोरी करते हैं।
बड़के लोग ग़रीबों से क्यों,सीनाज़ोरी करते हैं?
भूमि सभी के लिए बनी है,सबने इसे सजाया है।
मजलूमों ने विपदाओं से,घिरता विश्व बचाया है।।
धरती मोरी तोरी कहके,ठग सहजोरी करते हैं?
बड़के लोग ग़रीबों से क्यों,सीनाज़ोरी करते?
मजलूमों ने विपदाओं से,घिरता विश्व बचाया है।।
धरती मोरी तोरी कहके,ठग सहजोरी करते हैं?
बड़के लोग ग़रीबों से क्यों,सीनाज़ोरी करते?
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