आँखों में आंसू नहीं, अंतर में अहसास|
सन्नाटा पसरा हुआ, मरघट लगें निवास||
थमी प्रगति की चाल है, ठग ने नोची खाल|
फिरते खाली हाथ हैं, कई करोड़ों लाल||
उधर लूटने के मिले, अवसर लाखों लाख।
इधर आपदा ने किये, लाखों के घर राख।।
सन्नाटा पसरा हुआ, मरघट लगें निवास||
थमी प्रगति की चाल है, ठग ने नोची खाल|
फिरते खाली हाथ हैं, कई करोड़ों लाल||
उधर लूटने के मिले, अवसर लाखों लाख।
इधर आपदा ने किये, लाखों के घर राख।।
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