Tuesday, July 4, 2023

 नशेबाज-सी सो रही राजधानी,

कदाचार को ढो रही राजधानी|
डकैती बकैती लठैती बढ़ी है,
अनाचार से रो रही राजधानी|
कहीं नीर निर्मल दिखाई न देता,
वदन कीच से धो रही राजधानी|
व्यवस्था हुई चम्बली आज देखो,
डवांडोल कुछ हो रही राजधानी|
विषैले फलों को उगाती रहे जो,
वही बीज तो बो रही राजधानी|
मचा राजनैतिक घमासान ऐसा,
'तुका' धैर्य को खो रही राजधानी|

Wednesday, June 21, 2023

 स्नेह सरिता बहेगी थमेगी नहीं,

रेत में नाँव ठग की चलेगी नहीं।
ये सभी जानते मानते हैं यहाँ,
राजनैतिक लड़ाई रुकेगी नहीं।
जो इबारत लिखी भित्तियों पर दिखे,
वो किसी के मिटाये मिटेगी नहीं।
नफ़रतों के सहारे लगी आग जो,
वो बिना प्यार के तो बुझेगी नहीं।
घात संघात उत्पात की सोच से,
बात बिगड़ी किसी की बनेगी नहीं।
वो कहानी किसे ज्ञान देगी कहो,
वक्त के दर्द को जो कहेगी नहीं?
चाहती जो परखना हक़ीक़त तुका,
वो खुली आँख डर से झुकेगी नहीं।
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Naveen Pradhan, Ramesh Yadav and 1 other

Monday, June 12, 2023

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जीवन में जिसने जिया, जितना मधुमय प्यार।
उसने उतना ही रचा, मधुर सरस संसार॥7849
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Raghuvinder Yadav, Kaushalendra Kishor Chaturvedi and 4 others
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बात ही बात में वह बहक जाएगा,
आग जैसा अचानक दहक जाएगा।
स्वर्ण चाँदी खनिज तेल पेट्रोल भी-
सेठ का पेट तो सब गटक जाएगा।
माल जिस ओर से मिल सकेगा उसे-
वो उधर बानरों सा लपक जाएगा।
उस दग़ाबाज़ पर क्या भरोसा करें-
क्या पता वो किधर को ख़सक जाएगा?
छेड़ना मत कभी जंगली साँड़ को-
क्या पता किस समय वो बमक जाएगा?
ढोल की भाँति फूला हुआ पेट तो-
इस चुनावी समर में पचक जाएगा।
चोट मत मारिए फिर जुड़ेगा नहीं-
बाल भर भी मुकुर जो दरक जाएगा।
फूल है वो सड़ेगा गलेगा तुका-
और फिर इत्र जैसा महक जाएगा।
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Bakulesh Jain