आसुओं के सिवा जो दिया आपने,
आज वापस उसे ले लिया आपने |
संत चुपचाप विषपान करता रहा,
और अमरत्व सागर पिया आपने|
नालियों में पड़े लोग सड़ते रहे,
क्या यही देखने को जिया आपने?
लाश की भाँति ढोनी पड़ी ज़िन्दगी,
जुल्म क्यों ये भयानक किया आपने?
खोजते- खोजते बंद आँखे हुई,
पर बताया न अपना ठिया आपने|
बात कैसे 'तुका' यह सही मान ले,
कुछ बनाये छली माफिया आपने?
आज वापस उसे ले लिया आपने |
संत चुपचाप विषपान करता रहा,
और अमरत्व सागर पिया आपने|
नालियों में पड़े लोग सड़ते रहे,
क्या यही देखने को जिया आपने?
लाश की भाँति ढोनी पड़ी ज़िन्दगी,
जुल्म क्यों ये भयानक किया आपने?
खोजते- खोजते बंद आँखे हुई,
पर बताया न अपना ठिया आपने|
बात कैसे 'तुका' यह सही मान ले,
कुछ बनाये छली माफिया आपने?