कुछ दिन के उपरान्त यहाँ से जाना है;
जब तक जीवन श्वास हमें तो गाना है|
यह अपना वह गैर नहीं यह चिंतन में,
सबको अपनी भाँति सहज अपनाना है|
जिसमें हो अधिकार बात को कहने का,
बतलाओ वह दोस्त कहाँ पर थाना है?
क्यों सहोदरों से नहीं हमारे रिश्ते जब,
सब उसकी संतान सभी ने माना है ?
जनहित में उद्घोष काव्य -मर्यादा से,
साहित्यिक संग्राम 'तुका' ने ठाना है|
जब तक जीवन श्वास हमें तो गाना है|
यह अपना वह गैर नहीं यह चिंतन में,
सबको अपनी भाँति सहज अपनाना है|
जिसमें हो अधिकार बात को कहने का,
बतलाओ वह दोस्त कहाँ पर थाना है?
क्यों सहोदरों से नहीं हमारे रिश्ते जब,
सब उसकी संतान सभी ने माना है ?
जनहित में उद्घोष काव्य -मर्यादा से,
साहित्यिक संग्राम 'तुका' ने ठाना है|
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