डॉ. तुकाराम वर्मा
धमकियों के खौफ से गर शायरी डर जायगी |
तो बताओ रौशनी किस भांति घर -घर जायगी ||
वह किसी के भी किये होगा नहीं संसार में,
काम जो निष्काम होकर लेखनी कर जायगी |वक्त ने आवाज़ दी हैं चेत जाने के लिए,
जाग जाओ अन्यथा इंसानियत मर जायगी |
गीतिका वह गुनगुनायी जायगी हर हल में,
हाथ में इंसाफ के जो चुस्तगी भर जायगी |
काव्य के संसार उसकी जगह होगी तुका,
चेतना की पोथियाँ जो लेखनी धर जायगी |