Sunday, May 22, 2011

हाथ में इंसाफ के

डॉ. तुकाराम वर्मा 

धमकियों  के  खौफ से  गर शायरी  डर जायगी |
तो बताओ रौशनी किस भांति घर -घर जायगी ||

वह  किसी  के  भी  किये  होगा   नहीं  संसार में,
काम  जो  निष्काम  होकर  लेखनी कर जायगी |

वक्त  ने  आवाज़  दी   हैं  चेत  जाने   के  लिए,
जाग  जाओ  अन्यथा  इंसानियत  मर जायगी |

गीतिका  वह   गुनगुनायी  जायगी  हर हल में,
हाथ  में  इंसाफ  के जो  चुस्तगी  भर  जायगी |

काव्य  के  संसार   उसकी  जगह  होगी  तुका,
चेतना  की  पोथियाँ  जो लेखनी  धर जायगी |