Saturday, April 16, 2016

हम प्यार सहारे जीते हैं,



हम प्यार सहारे जीते हैं,
हँस-हँसकर विष भी पीते हैं।

उर उल्फ़त घट से भरे हुये,
फिरभी कर धन से रीते हैं।

अच्छे दिन की प्रत्याशा में,
दुर्दिन तो अभी न बीते हैं।

जो नोच रहे तन कलियों के,
वे घूम रहे खल चीते हैं।

जो सत्य कह रहे उनके तो,
लग रहे अनेक पलीते हैं।

जो तुका साथ सत्ता के वे,
पा जाते सभी सुभीते हैं।

सुख मिला न बड़े अमीरों में

एक गीत:-
सुख मिला न बड़े अमीरों में, दुख नहीं गरीबों से पाया| 
नित भले-बुरों को संकट में, सत्पथ दिखलाया अपनाया||
उर कभी नहीं भयभीत रहा, वह जिया जिसे सद्नीति कहा,
पग डिगा नहीं अवरोधों से, आगे निकला बन पवन बहा|
सद्गंधों का बनकर साथी, जग जीवन आँगन महकाया| 
नित भले-बुरों को संकट में, सत्पथ दिखलाया अपनाया||
यह गैर नहीं मन बैर नहीं, पावन चिन्तन में मैर नहीं,
जो थका नहीं हो जीवन में, ऐसा हो सकता पैर नहीं|
थकने पर तो विश्राम किया, पर उठा तुरत चलना भाया|
नित भले-बुरों को संकट में, सत्पथ दिखलाया अपनाया||
प्रिय लोकतन्त्र के लिए जिए, शुचि सद्विचार गुण लिए दिए,
कृत भले लगे जो अनुभव से, वह कार्य मनोरम प्रिये किए|
कवि सबका है सब कवि के हैं, यह गीत रचा हँसकर गाया|
नित भले-बुरों को संकट में, सत्पथ दिखलाया अपनाया||

Tuesday, April 12, 2016

तरुणों-सा मौलिक साहस हो



वह गीत लिखो मनमीत कि जो, संगीत बने नवनीत बने।
हर ह्रदय जिसे गुनगुना उठे, पथ प्रीत बने नवनीत बने ।।

उर के दुर्भाव हटा दे जो, बढ़ते अपराध घटा दे जो,
युग के सच से मुँह मोड़ रहे, उन सबको धूल चटा दे जो।
सदभावन प्रेम प्रसारक हो, स्वर धीत बने नवनीत बने।
हर ह्रदय जिसे गुनगुना उठे, पथ प्रीत बने नवनीत बने।

जन गण मन को अपनाये जो, समता की धार बहाये जो,
विकसित करके प्रिय वर्तमान, भारत भविष्य बन जाये जो।
 
माहौल अनय निर्दयता के, विपरीत बने नवनीत बने।।
हर ह्रदय जिसे गुनगुना उठें, शुचि प्रीत बने नवनीत बने।

तरुणों-सा मौलिक साहस हो, सुमनों- सा आकर्षक रस हो,
कलियों- सी हो मुस्कान प्रिये, वन उपवन-सा सामंजस हो।।
शुचि प्राणवायु का स्रोत बने, सुपुनीत बने नवनीत बने। 
हर ह्रदय जिसे गुनगुना उठे, शुचि प्रीत बने नवनीत बने।।

प्रिय लोकतंत्र को पहचाने, गन पंचशील के ध्वज ताने,
शुचि संविधान को जीवन में,सद्धर्म पुस्तिका सा माने। 
लय कल कल अविरल निकल पड़े, जगजीत बने नवनीत बने। 
हर ह्रदय जिसे गुनगुना उठे, शुचि प्रीत बने नवनीत बने।

वर्तमान के बादशाह



मान लिया वे शहंशाह हैं, वर्तमान के बादशाह हैं|
लेकिन अनयशक्ति के पग में, जनता नहीं शीश धर देगी||
भूख-प्यास हत्यारी झेली, प्राण दिये हैं होली खेली|
तब जाकर आज़ादी पायी, बलिदानों की गूढ़ पहेली||
गाँव गरीब किसान कमेरे, चुप न रहेंगे चुप न रहेंगे,
सत्य कहेंगे सत्य कहेंगे, मान लिया वे .....
सम्विधान के हम रखवाले, खोलेंगे नफ़रत के ताले| 
उनसे भी तो मुक्ति मिलेगी, जो अंग्रेज खड़े हैं काले|| 
जमाखोर ठग शैतानों से, लड़ते आये और लड़ेंगे, 
सत्य कहेंगे सत्य कहेंगे, मान लिया वे....
सूर्य तिमिर से कब डरता है, पवन परार्थ चला करता है|
जीवन जल से भरा रहे जो, वह सबकी पिपास हरता है||
अत्याचारी, भ्रष्टाचारी, बदलेंगे निश्चय बदलेंगे-| 
सत्य कहेंगे सत्य कहेंगे, मान लिया वे ...99