Saturday, April 16, 2016

सुख मिला न बड़े अमीरों में

एक गीत:-
सुख मिला न बड़े अमीरों में, दुख नहीं गरीबों से पाया| 
नित भले-बुरों को संकट में, सत्पथ दिखलाया अपनाया||
उर कभी नहीं भयभीत रहा, वह जिया जिसे सद्नीति कहा,
पग डिगा नहीं अवरोधों से, आगे निकला बन पवन बहा|
सद्गंधों का बनकर साथी, जग जीवन आँगन महकाया| 
नित भले-बुरों को संकट में, सत्पथ दिखलाया अपनाया||
यह गैर नहीं मन बैर नहीं, पावन चिन्तन में मैर नहीं,
जो थका नहीं हो जीवन में, ऐसा हो सकता पैर नहीं|
थकने पर तो विश्राम किया, पर उठा तुरत चलना भाया|
नित भले-बुरों को संकट में, सत्पथ दिखलाया अपनाया||
प्रिय लोकतन्त्र के लिए जिए, शुचि सद्विचार गुण लिए दिए,
कृत भले लगे जो अनुभव से, वह कार्य मनोरम प्रिये किए|
कवि सबका है सब कवि के हैं, यह गीत रचा हँसकर गाया|
नित भले-बुरों को संकट में, सत्पथ दिखलाया अपनाया||

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