Tuesday, April 12, 2016

तरुणों-सा मौलिक साहस हो



वह गीत लिखो मनमीत कि जो, संगीत बने नवनीत बने।
हर ह्रदय जिसे गुनगुना उठे, पथ प्रीत बने नवनीत बने ।।

उर के दुर्भाव हटा दे जो, बढ़ते अपराध घटा दे जो,
युग के सच से मुँह मोड़ रहे, उन सबको धूल चटा दे जो।
सदभावन प्रेम प्रसारक हो, स्वर धीत बने नवनीत बने।
हर ह्रदय जिसे गुनगुना उठे, पथ प्रीत बने नवनीत बने।

जन गण मन को अपनाये जो, समता की धार बहाये जो,
विकसित करके प्रिय वर्तमान, भारत भविष्य बन जाये जो।
 
माहौल अनय निर्दयता के, विपरीत बने नवनीत बने।।
हर ह्रदय जिसे गुनगुना उठें, शुचि प्रीत बने नवनीत बने।

तरुणों-सा मौलिक साहस हो, सुमनों- सा आकर्षक रस हो,
कलियों- सी हो मुस्कान प्रिये, वन उपवन-सा सामंजस हो।।
शुचि प्राणवायु का स्रोत बने, सुपुनीत बने नवनीत बने। 
हर ह्रदय जिसे गुनगुना उठे, शुचि प्रीत बने नवनीत बने।।

प्रिय लोकतंत्र को पहचाने, गन पंचशील के ध्वज ताने,
शुचि संविधान को जीवन में,सद्धर्म पुस्तिका सा माने। 
लय कल कल अविरल निकल पड़े, जगजीत बने नवनीत बने। 
हर ह्रदय जिसे गुनगुना उठे, शुचि प्रीत बने नवनीत बने।

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