Friday, February 17, 2017

औरत बड़ी मजबूत है

सच बात वो प्रत्येक से कहती नहीं सदा,
कुर्सी किसी के साथ में रहती नहीं सदा|
यह वायु है इसकी रही इतनी विशेषता- 
सहजोर के अनुकूल ये बहती नहीं सदा|
माना कि भूखे पेट की ताकत अधीर है-
पर क्रूरता की दासता सहती नहीं सदा|
औरत बड़ी मजबूत है सहकार भाव से-
पर वेदना की आग में दहती नहीं सदा|
सत्ता तुका न छोड़ती शासन के मोह को- 
पर राह भी उत्पात की गहती नहीं सदा|