योग बना वो रोग कि जिसकी, औषधि है बाज़ार।
कमाई करिये अपरंपार।
कमाई करिये अपरंपार।।
कमाई करिये अपरंपार।
कमाई करिये अपरंपार।।
गुरु हैं बाबा करें छलावा, आकर्षण से भरा दिखावा।
वक़्त बदलते लाचारी से, व्यापारी करता पछतावा।
लाभ-हानि का गणित न जाने, नैतिकता आभार।
कमाई करिये अपरंपार।
कमाई करिये अपरंपार।।
वक़्त बदलते लाचारी से, व्यापारी करता पछतावा।
लाभ-हानि का गणित न जाने, नैतिकता आभार।
कमाई करिये अपरंपार।
कमाई करिये अपरंपार।।
लाखों अर्थ समर्थक चेले, ख़ूब लगाते रहते मेले।
रूप स्वदेशी सोच विदेशी, खेल लुभाने वाले खेले।।
कर्तव्यों का बोध न जिनको, माँगें वे अधिकार।
कमाई करिये अपरंपार।
कमाई करिये अपरंपार।।
रूप स्वदेशी सोच विदेशी, खेल लुभाने वाले खेले।।
कर्तव्यों का बोध न जिनको, माँगें वे अधिकार।
कमाई करिये अपरंपार।
कमाई करिये अपरंपार।।
जाति भावना लगे सुहानी, मनमानी भाये शैतानी।
नवविकास के हेतु चुनी है, टूटी फूटी सड़क पुरानी।।
वैज्ञानिकता की बातें हैं, जड़ता पथ स्वीकार।
कमाई करिये अपरंपार।
कमाई करिये अपरंपार।।
नवविकास के हेतु चुनी है, टूटी फूटी सड़क पुरानी।।
वैज्ञानिकता की बातें हैं, जड़ता पथ स्वीकार।
कमाई करिये अपरंपार।
कमाई करिये अपरंपार।।