Saturday, August 15, 2020

सेवकाई की हमेशा

 

शीश ऊपर बोझ भारी ,पैर में जंजीर |
शोषितों की जान सकता ,कौन अन्तःपीर ?

पीठ पर नवजात लादे ,काँपना बढ़ना ,
आसमानी सीढ़ियों के ,छोर तक चढ़ना |
इन उपेक्षित नारियों की,हाय री! तक़दीर ..

 
भीगना बरसात जल में ,धूप में जलना ,
रोटियों के हेतु हिम-सा ,शीत में गलना|
रोकने पर रुक न पाये,वेदना-दृग नीर ..

सेवकाई की हमेशा ,वन्दगी करके ,
गंदगी ढ़ोते रहे वे ,रोज़ मर-मर के |
झेलते आये युगों से,गालियों के तीर ,
शोषितों की जान सकता ,कौन अन्तःपीर ?३४

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