Sunday, August 9, 2020

दर्द दिल

 

दर्द दिल का सुनाना पड़ा आज है।
सामने वायरस भी खड़ा आज है।
 
कल रहें या मरें ये किसे है पता,
इसलिए गुनगुनाना पड़ा आज है।
 
सख्त आदेश है जानिए भी इसे,
एक ताला अधर पर जड़ा आज है।
 
मौत की बूँद कब कौन मुँह में गिरे,
छल छलाने लगा विष घड़ा आज है।
 
खौफ में है तुकाराम वो भी यहाँ,
भर चुका स्वर्ण से जो हड़ा आज है।

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