Monday, August 17, 2020

एक प्रबोधक रचना

 

एक प्रबोधक रचना
नफरत के कारोबार, हटाओ अब दूर करो,
दूर करो जी अब दूर, करो यहाँ से अब दूर करो।
 
जनता की है आवाज़, जिनसे भयभीत समाज,
कुछ आए न जिनको,उन्हें तो अब दूर करो,
दूर करो जी अब दूर, यहाँ से अब दूर करो।
नफरत के कारोबार, यहाँ से अब दूर करो।।
 
मत टिकने दो वो पैर, जिनके मन में है बैर,
जो कहें भलों को गैर, उन्हें तो अब दूर करो,
दूर करो जी अब दूर, यहाँ से अब दूर करो।
नफरत के कारोबार,यहाँ से अब दूर करो।।
 
हत्यारे क्रूर डकैत ठग, लुच्चे चोर लठैत,
शातिर बेख़ौफ़ बकैत, उन्हें तो अब दूर करो,
दूर करो जी अब दूर, यहाँ से अब दूर करो।
नफरत के कारोबार, यहाँ से अब दूर करो।।
 
झूठों का झूठ प्रचार, मक्कार अधम अय्यार,
जो करते अत्याचार, उन्हें तो अब दूर करो,
दूर करो जी अब दूर, यहाँ से अब दूर करो।
नफरत के कारोबार, यहाँ से अब दूर करो।।

No comments:

Post a Comment