मजलूमों के साथ आज जो खड़ा नहीं हो पायेगा।
तो सच मानो आने वाला कल न उसे अपनायेगा।।
जिसके उर में परपीड़ा के, हेतु वेदना होती है,
विपदाओं से भरे दौर में, उसकी आँख न सोती है।
मुसीबतों के निराकरण के जो न मार्ग बनवायेगा।
तो सच मानो आने वाला कल न उसे अपनायेगा।।
भले बुरे इन्सानों का भी, जिसे तजुर्बा होता है,
वो सच्चाई के बोझे को, ख़ुशी ख़ुशी से ढोता है।
अनुभव अर्जित ज्ञानकोष के सूत्र न जो समझायेगा।
तो फिर मानो आने वाला कल न उसे अपनायेगा।।
विश्ववाटिका के फूलों को, सड़ना गलना पड़ता है,
उन्हें इत्र बनकर दुनिया में,सतत महकना पड़ता है।
मानव मूल्यों के सदगुण जो साधक नहीं बतायेगा।
तो फिर मानो आने वाला कल न उसे अपनायेगा।।
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