सम्बन्ध तस्करों से तो जोड़ना न सीखे,
सहकार के दिलों को हम तोड़ना न सीखे|
साहित्य के सिपाही उनको कभी न कहिये,
अन्याय के इरादे जो मोड़ना न सीखे|
इन्सान के हितैषी पथ वह न रच सकेंगे,
अणु अस्त्र के घटों को जो फोड़ना न सीखे|
उनके किये न किंचित मानव विकास होगा,
बन्जर पड़ी धरा को जो गोड़ना न सीखे|
लूटा गया तुका को हर दौर में समझिये,
इंसानियत कभी भी हम छोड़ना न सीखे
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