Friday, September 25, 2015

जाति की बात

जाति की बात से बात बनती नहीं,
काव्य में नात से बात बनती नहीं|
स्नेह सद्गन्ध से जो भरा ही न हो-
उस मृदुल गात से बात बनती नहीं|
राष्ट्र को सैकड़ों किस्म के फूल दो-
मात्र जलजात से बात बनती नहीं|
प्यार को चाहिये एक माहौल भी-
चाँदनी रात से बात बनती नहीं|
शान्ति के हेतु अनिवार्य है एकता -
धर्म उत्पात से बात बनती नहीं|
स्वार्थ की भावना से भरे दौर में-
अर्थ बरसात से बात बनती नहीं|
देश में कृषि उपज को बढ़ाओ तुका-
अन्न आयात से बात बनती नहीं|

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