Friday, September 4, 2015

असत्य दलील|



लोकतंत्र को धर्मतंत्र में, करो नहीं तब्दील,
नहीं दो और असत्य दलील|
नहीं दो और असत्य दलील|| 

बड़े अनैतिक बोझे लादे, करते फिरते झूठे वादे,
सत्ता हथियाने वाले के, लोग समझने लगे इरादे|
मुँह से कौर छिनाने को जो, बने हुये हैं चील,
नहीं दो और असत्य दलील|
नहीं दो और असत्य दलील||

विज्ञापन ने हमला बोला, नागिन जैसा मुँह को खोला,
एक हो गया है ठगने को, काले धन वालों का टोला|
सूरत लगती संतों जैसी, कार्य क्रूर अश्लील,
नहीं दो और असत्य दलील|
नहीं दो और असत्य दलील||

अपने-अपने ढोल बजाते, जन साधारण को बहकाते,
कचरा तो पड़ोस में फेकें, अपने घर-आँगन महकाते|
हत्यारों को लगे बचाने, खोटेराम वकील,
नहीं दो और असत्य दलील|
नहीं दो और असत्य दलील||

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