Friday, September 6, 2013

हे! मानवता के सूत्रधार|


हे! मानवता के सूत्रधार|
जनजीवन के उत्कर्ष हेतु, दे दिये सुहाने नवविचार|
हे! मानवता के सूत्रधार|
हे! मानवता के सूत्रधार||

जीवन में लोकतंत्र विधि का,
परिपालन अपने आप किया|
संवर्धन के सन्मार्ग रचे,
भूलों पर पश्चाताप किया||
विपरीत दशाओं में देता, सद्शक्ति अपरिमित सदाचार|
हे! मानवता के सूत्रधार|
हे! मानवता के सूत्रधार||

क्या उचित और अनुचित होता,
यह भलीभाँति समझाया है| 
वह मानव क्या जो मानव का,
उपकार नहीं कर पाया है||
नित चिंतन मनन विवेचन से, कर लिया ह्रदय को निर्विकार|
हे! मानवता के सूत्रधार|
हे! मानवता के सूत्रधार||

परहित में अपना हित रहता,
यह सीधी सरल कहानी है|
जो सबको आकर्षित करती,
वह नैतिक मीठी वाणी है||
वह असफल कभी न होता जो, निज भूलों का करता सुधार|
हे! मानवता के सूत्रधार|
हे! मानवता के सूत्रधार||

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