Thursday, March 31, 2011

कविता जन रक्षण की विधि है ,करती महलों में  निवास नहीं |
नव जीवन मूल्य प्रदायनी है ,यह   केवल  बुद्धि -विलास  नहीं||
जडता परिपोषक है उर वो , जिसमें   कवितार्थ   पिपास  नहीं |
रविदास की लाडली मीरा कहे, कविता के बिना अरदास नहीं ||












1 comment:

  1. कविता से संबंधित आपका छंद पढ़ा। सराहनीय है।
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    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
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