नहीं बच सकोगे समय की नजर से ,
हुए रेत पर्वत सलिल की लहर से |
ख़बरदार रहना शहर की ख़बर से ,
कहीं सामना हो न जाये ज़बर से |
समझदार के साथ बढ़ती समझ है ,
नहीं लोग विद्वान होते उमर से |
बनेगा वही गीत शुचि ज़िन्दगी का,
कहा जाएगा जो ग़ज़ल के अधर से |
बनो राजनेता नहीं फ़िक्र करिए ,
बहुत कुछ मिलेगा इधर से उधर से |
तुकाराम देता नहीं साथ कोई ,
अकेले लड़ो ज़िन्दगी के समर से |
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