Wednesday, April 20, 2011

कवि-मनीषी की बुलंदी

                                              -डॉ. तुकाराम वर्मा
  • नागरिक हैं  अब इन्हें  आदिम समझना छोड़ दो ,
  • आप  अपनेआप को   कासिम समझना छोड दो |

  • यदि  तिमिर की   कैद से  उन्मुक्त होना चाहते ,
  • तो किसी की बात को  अंतिम समझना छोड़ दो |

  • लोग  जो  भाषण   दिया  करते किताबी सोच से ,
  • उन सभी को आप अब आलिम समझना छोड़ दो |

  • राष्ट्र में  समतापरक   वातावरण   बन  जायगा ,
  • नौकरों   को  देश  का हाकिम  समझना छोड़ दो |

  • न्याय   की   दरकार   में  खानाबदोशी जो लिए ,
  • उन फकीरों को प्रिये! मुल्जिम समझना छोड़ दो|
 
  • कवि-मनीषी की बुलंदी एक दिन मिल जायगी ,
  • सत्य कहने को तुका जोखिम समझना छोड़ दो |

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