-डॉ. तुकाराम वर्मा
- नागरिक हैं अब इन्हें आदिम समझना छोड़ दो ,
- आप अपनेआप को कासिम समझना छोड दो |
- यदि तिमिर की कैद से उन्मुक्त होना चाहते ,
- तो किसी की बात को अंतिम समझना छोड़ दो |
- लोग जो भाषण दिया करते किताबी सोच से ,
- उन सभी को आप अब आलिम समझना छोड़ दो |
- राष्ट्र में समतापरक वातावरण बन जायगा ,
- नौकरों को देश का हाकिम समझना छोड़ दो |
- न्याय की दरकार में खानाबदोशी जो लिए ,
- उन फकीरों को प्रिये! मुल्जिम समझना छोड़ दो|
- कवि-मनीषी की बुलंदी एक दिन मिल जायगी ,
- सत्य कहने को तुका जोखिम समझना छोड़ दो |
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