Friday, August 7, 2015

बुरे वक्त में


इधर भी उधर भी यही तो खबर है|
घिरा दहशतों बीच अब हर बसर है|
बढ़ी लूट हत्या अनय मानसिकता,
नही शांति से चल रहा ये नगर है|
बुरे वक्त में साथ देता न कोई,
वही भाग जाता मिला जो गनर है|
कभी भूलकर मत परेशान होना,
मुसीबत दिखाती प्रबोधन डगर है|
प्रभावित न होना चमकते घरों से,
प्रदूषित रही अर्थ लोलुप नज़र है|
ठगी के इरादे बदल दे 'तुका' जो,
उसे मान लेना शिवं काव्य स्वर है|

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