सबको अपने किये-धरे का जीवन में परिणाम मिला है |
हँसना-रोना नहीं मुनासिब समुचित ही अंजाम मिला है||
जिसने चाहा उस साधक को अविरल सजग साधना बल से,
अपने दैनंदन जीवन के हेतु नवल आयाम मिला है |
उसको चैन कहाँ मिल सकता जन-गण-मन के उपवन में,
जिसने सोचा इस जीवन क्यों न विपुल धन-धाम मिला है|
अपना कोई शत्रु नहीं है इन भोगोलिक सीमाओं में,
क्योंकि न जिसमें हार-जीत वह शिव सुन्दर संग्राम मिला|
कवि तो खुश है शब्द-अर्थ की अव्यय अक्षय दौलत पाके ,
मिटता नहीं मिटाये अब तो तुकाराम -सा नाम मिला है |
हँसना-रोना नहीं मुनासिब समुचित ही अंजाम मिला है||
जिसने चाहा उस साधक को अविरल सजग साधना बल से,
अपने दैनंदन जीवन के हेतु नवल आयाम मिला है |
उसको चैन कहाँ मिल सकता जन-गण-मन के उपवन में,
जिसने सोचा इस जीवन क्यों न विपुल धन-धाम मिला है|
अपना कोई शत्रु नहीं है इन भोगोलिक सीमाओं में,
क्योंकि न जिसमें हार-जीत वह शिव सुन्दर संग्राम मिला|
कवि तो खुश है शब्द-अर्थ की अव्यय अक्षय दौलत पाके ,
मिटता नहीं मिटाये अब तो तुकाराम -सा नाम मिला है |
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