Saturday, December 3, 2011

सबको अपने किये-धरे का जीवन में परिणाम मिला है |
हँसना-रोना नहीं मुनासिब समुचित ही अंजाम मिला है||
जिसने चाहा उस साधक को अविरल सजग साधना बल से,
अपने  दैनंदन जीवन के  हेतु  नवल आयाम  मिला है |
उसको चैन कहाँ मिल सकता जन-गण-मन के उपवन में,    
जिसने सोचा इस जीवन क्यों न विपुल धन-धाम मिला है|
अपना कोई शत्रु नहीं है  इन  भोगोलिक सीमाओं  में,
क्योंकि न जिसमें हार-जीत वह शिव सुन्दर संग्राम मिला|  
कवि तो खुश है शब्द-अर्थ की अव्यय अक्षय दौलत पाके ,
मिटता नहीं मिटाये अब तो  तुकाराम -सा नाम मिला है |

No comments:

Post a Comment