Sunday, December 4, 2011

khand kaavy


संत लूका रचित सुसमाचार
खण्ड काव्य
काव्यानुवाद
अनुवादक
डॉ० तुकाराम वर्मा
 
           प्रथम अध्याय
बहुत बंधुओं ने लिखा , वह सजीव इतिहास |
घटित हुआ था जो यहाँ, कभी हमारे पास || 1
अपनी आँखों से घटनायें,देखी-परखी आदि प्रथायें|
प्राणी ईश वचन के धारी,हमें दे गए वाणी प्यारी|
मैंने भी यह समुचित माना,क्रमशः लिखना हितकर जाना|
ताकि आप यह शिक्षा जानें,भली-भांति सच इसको मानें||
हेरोदेस यहूदी राजा, समकालिक अविलाह समाजा |
जकरयाह याजक इसमें था, ईश्वर प्रेम भरा उसमें था||
जकरयाह की पत्नी प्यारी, इलिशिवा हारून दुलारी |
वे संतान हीन दो वृद्धा ,रखते थे ईश्वर में श्रद्धा ||
एक दिवस निज दल पारी में,रत वह था प्रभु सत्कारी में|
प्रथा याजकों ने स्वीकारी,पर्ची निकले आये वारी||
जिस दिन जिसकी पर्ची आये, वह उस दिन मंदिर में जाये|
भीतर जाकर धूप जलाये, विधि विधान पूरा करवाये||
धूप जलाने के समय, सकल मण्डली लोग |
मंदिर बाहर प्रार्थना, करें  सभी सहयोग ||2
जकरयाह सहसा घबराया, उसके तन-मन पर भय छाया |
दूत सामने दिया दिखाई , वेदी पास दृष्टि दौड़ाई ||
स्वर्गदूत ने उसे बताया ,जकरयाह तू क्यों घबराया ?
बात ध्यान से सुन ले मेरी, प्रभु ने सुनी याचना तेरी||
इलीशिवा गर्भित होवेगी, तेरे लिए पुत्र जन्मेगी |
तेरी होगी सफल तमन्ना,नाम उसे देना यूहन्ना||
तुझे सरस आनन्द मिलेगा,बहुतों का उर-सुमन खिलेगा|
वह प्रधान युगबोधक होगा, जग महान सच शोधक होगा||
मदिरा अथवा दाखरस, वह न करेगा पान|
लेगा माँ के गर्भ से,पवित्र आत्मा दान ||3
कितने ही इस्राएल वस्सी, उस कारण होंगे विश्वासी|
अपने ईश ओर लौटेंगे, यूहन्ना को धन्य कहेंगे ||
एलियाह से आशिष लेगा,आत्मशक्ति से भरा रहेगा|
वह प्रभु के आगे जायेगा,ईश्वर की महिमा गायेगा||
संतानों की ओर पिता का,वह मन फेरेगा शुचिता का|
लोग नहीं जो आज्ञाकारी,उनको देगा शिक्षा प्यारी ||
धार्मिक पंथ प्रसार करेगा, योग्य प्रजा तैयार करेगा|
जब यह स्वर्गदूत ने गाया,जकरयाह ने प्रश्न उठाया?
यह मैं कैसे मान लूँ, हुआ वृद्ध इंसान|
पत्नी भी बूढी हुई,तुझे नहीं क्या ज्ञान?4
जिब्रयल ने उसे बताया, सुसमाचार साथ में लाया|
प्रभु के पास खड़ा रहता हूँ,जो सच है वह मैं कहता हूँ||
मैं तुझसे बातें करने को,भेजा गया विपद हरने को |
जब तक यह न फलित हो लेगा,तब तक तू न अधर खोलेगा||
अब से है यह विपति उठाना, इसको तूने सत्य न माना |
सभी सत्य होंगी ये बातें, प्रभु ने भेजी हैं सौगातें ||
बाहर सबका मन घबराया,जकर्याह क्यों अभी न आया |
कुछ न समझ में आये मेरी, मंदिर मध्य हुई क्यों देरी?
वह बाहर आकार हुआ , गूंगों-सा चुपचाप|
इसे देख समझे सभी, दर्शन का संताप ||5
कहने हेतु ह्रदय अभिलाषा, वह बोले सांकेतिक भाषा |
जब सेवा का समय बिताया, तब अपने घर में वह आया||
इसके बाद गर्भ वह पायी, पाँच माह तक नज़र बचायी|
एकाकीपन में रहती थी, सब सहती वह यह कहती थी ||
प्रभु ने दिया दान यह प्यारा, जिस कारण हो मान हमारा|
छठे माह जिब्रायल आया ,प्रभु ने आशिष भेज पठाया ||
उसने देखी मरियम प्यारी, नगर नासरत की सुकुमारी |
युसूफ संग हुई मंगनी थी, लेकिन बनी न वह सजनी थी||
वंशज वह दाऊद का, यूसुफ नामक व्यक्ति |
मरियम से मंगनी हुई, करता था अनुरक्ति ||6
स्वर्गदूत मरियम घर आया, ईश्वर का संदेश सुनाया|
हो आनंद सदा जय तेरी,सुन ले बात ध्यान से मेरी||
प्रभु ने किया अनुग्रह भारी,उसने तुझ पर कृपा पसारी||
सुनकर स्वर्गदूत की वाणी, घबरायी मरियम कल्याणी|
यह तू क्या अभिनन्दन लाया,कुछ भी समझ न मेरी आया?
स्वर्गदूत ने उसे बताया, भय क्यों तेरे उस में आया?
हुआ अनुग्रह परम पिता का,पालन करना है शुचिता का|
अब तू गर्भवती होवेगी,परम श्रेष्ठ सूत को जन्मेगी ||
मरियम! उसका नाम तू, रखना यीशु महान|
यह परमेश्वर पुत्र है, होगा विश्व प्रधान ||7
प्रभु उसको निज अंक भरेगा,पुरखों का सिंहासन देगा|
याकूवज़ पर राज्य करेगा,उसका शासन सदा रहेगा||
यह सुन कहने लगी कुमारी,बुद्धि गई क्या तेरी मारी?
सत्य बात क्या होगी तेरी,हुई न भेंट पुरुष से मेरी?
स्वर्गदूत ने उसे बताया,मरियम क्या तेरे मन आया?
प्रभु आशिष तुझ पर उतरेगा,फिर छाया सामर्थ्य करेगा||
जिस बालक को तू जन्मेगी,दुनिया प्रभु-सुत उसे कहेगी|
बूढ़ी इलीशिवा सुन तेरी, गर्भित हुई मान ले मेरी||
बाँझ बताते थे जिसे,उसे मिला वरदान|
छठे माह का हो गया,उसका गर्भ महान||8
ईश्वर सबके दुख हारता है,दुर्लभ कार्य सहज करता है|
मरियम ने सच उसे बताया,धन्यवाद कहकर समझाया||
मैं परमेश्वर की दासी हूँ, सद्वचनों की अभिलाषी हूँ |
स्वर्ग़दूत चल दिया वहाँ से,आया था वह यहाँ जहाँ से||
उन्हीं दिनों वह कर तैयारी,देश यहूदा पहुँची प्यारी|
मरियम जकरयाह घर आयी,मिलकर इलीशिवा हर्षायी||
नमस्कार कर ह्रदय लगाया,उन दोनों का मन मुस्काया|
पेट मध्य तब उछला बच्चा,स्वर्गिक रहा अनुग्रह सच्चा||
इलीशिवा को मिल गई,पवित्र आत्मा आज|
धन्य कहा तत्काल दी, मरियम ने आवाज़||9
नारिवर्ग में धन्य बताया,धन्य गर्भ जो तूने पाया |
यह आशिष क्यों मैंने पायी,प्रभु की जननी समीप आयी||
नमस्कार कानों में आया,पेट मध्य बालक हर्षाया |
जिसने यह विश्वास किया है, धन्य सत्य सब मान लिया है||
अति आशीषित मरियम बोली,मैं प्रभु महिमा गायक भोली|
आनंदित आत्मा है मेरी, परमेश्वर हो जय-जय तेरी ||
सुधा मिले ज्यों अभिलाषी को,कृपा मिली त्यों प्रभु दासी को|
जग में जितने लोग सुनेंगे,मुझे युगों तक धन्य कहेंगे||
उसका नाम पवित्र है,शक्तिमान है नेक|
काम किये मेरे लिए, उसने श्रेष्ठ अनेक||10

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