Sunday, December 4, 2011

जो जन उसका भय खाते हैं,कृपा पीढ़ियों तक पाते हैं|
प्रभु ने शक्ति भुजाओं द्वारा,किये कार्य शुचि दिया सहारा||
तितर-वितर नित उन्हें किया है,बहुत जिन्होंने दर्प जिया है|
... बलवानों का ताज उतारा, दीन-दुखी को सदा सँवारा||
भूखे-प्यासे तृप्त किये हैं, धनिक हाथ कर रिक्त लिये हैं|
प्रभु ने इस्राएल बचाया,निज विवेक सम्मान बढ़ाया||
कहाँ पूर्वजों से जैसा था, प्रभु से मिला सभी वैसा था|
अब्राहम का वंश संभाला,दिया दया का दान उजाला||
तीन माह मरियम रही, इलीशिवा के साथ|
तब लौटी निज गेह को,मिला हाथ से हाथ||11
प्रसवकाल पास जब आया,इलीशिवा ने सुत को पाया|
हिल-मिलकर आनंद मनाया,सबने सबको गले लगाया||
रिश्तेदार पड़ोसी आये ,ईश कृपा सुन उर हर्षाये |
अष्टम दिन वे फिर सब आये,खतना करने को अकुलाये||
नाम पिता का देना चाहा, इलीशिवा ने नहीं सराहा |
माँ ने अपनी कहीं तमन्ना,इसका नाम रखो यूहन्ना||
सबने मिलकर उसे बताया,नाम न यह कुटुम्ब में आया|
सबने पूछा पुत्र-पिता से, क्या तू सहमत है वनिता से?
जकरयाह से पूछते,रिश्तेदार तमाम|
तू क्या रखना चाहता,आने सुत का नाम?12
जकरयाह ने पट्टी माँगी,लिखा यूहन्ना प्रभु अनुरागी|
सब में अचरज रेखा जागी,जकरयाह की विपदा भागी||
मधुर स्वरों में वे सब बोले, आनंदित उनके उर डोले |
पास पड़ोसी सब घबराये,प्रभु की महिमा समझ न पाये||
देश यहूदा क्षेत्र पहाणी, सब समझे ज्यों हो नभवाणी|
सत्य-तथ्य को गुनने वाले,लगे सोचने सुनने वाले ||
कहें परस्पर शिशु की गाथा, सभी पकड़कर अपना माथा|
इसमें प्रभु की शक्ति भरी है,परम भक्ति अनुरक्ति भरी है||
एक दूसरे से कहें,अपने-अपने ख्याल|
कौन बनेगा बोलिए,जकरयाह का लाल?13
पवित्र आत्मा उसने पायी,परमेश्वर की हो प्रभुतायी|
उसने यह भविष्यवाणी की,जय-जय परमेश्वर दानी की||
कृपा दृष्टि की दिया सहारा, शीघ्र किया उनका छुटकारा|
उसने आश्रय हमें दिया है,उद्धारक उत्पन्न किया है||
जग को मिला ईश के द्वारा,वह दाऊद वंश का तारा|
नावियों ने जैसा बतलाया,वही आदि से होता आया ||
प्रभु ने हमको प्यार किया है, रिपुओं से उद्धार किया है|
पुरखों पर करुणा दिखलायी, अपनी वाचा पूर्ण निभायी||
प्रभु ने पूरी शपथ की, अब्राहम के साथ|
मुक्त हुए सब शत्रु से,मिले स्नेह से हाथ||14
परम मित्र हों सभी हमारे, भय विहीन हों जीवन  प्यारे|
प्रभु सेवा में ध्यान लगायें, सत्य-ज्ञान से धर्म निभायें||
परमपिता का नवी बनेगा, बुद्धिविवेक विश्व को देगा|
आगे-आगे सदा चलेगा,ईश मार्ग तैयार करेगा||
तारण हेतु ज्ञान वह देगा,पाप क्षमा से जो कि मिलेगा|
यह सब प्रभु करुणा से होगा,फल स्वर्गिक अरुणा से होगा||
अन्धकार में जो रहते हैं, मार मृत्यु कि वे सहते है|
दिव्य ज्योति दे तिमिर हरेगा,सच पथ ओर पैर कर देगा||
बालक नित बढ़ता गया,पूतात्मा बलवान|
इस्राएल के पूर्व वह,रहकर निर्ज़न स्थान||15

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