दूरियाँ बढ़ गई पास आये नहीं|
वे हमें हम उन्हें जान पाये नहीं||
हाथ आखिर बढ़े के बढ़े रह गये,
साथ में बैठकर भोज खाये नहीं|
छंद अनुभूतियों के सुनाये सदा,
गीत परजीवियों हेतु गाये नहीं|
शील व्यवहार की ज़िन्दगी जी रहे,
वे हमें हम उन्हें जान पाये नहीं||
हाथ आखिर बढ़े के बढ़े रह गये,
साथ में बैठकर भोज खाये नहीं|
छंद अनुभूतियों के सुनाये सदा,
गीत परजीवियों हेतु गाये नहीं|
शील व्यवहार की ज़िन्दगी जी रहे,
जुल्म के अस्त्र किंचित उठाये नहीं|
काव्य लिखते पढ़ाते रहे ध्यान से,
शिष्य प्यारे लगे हैं पराये नहीं |
मित्रता के लिए मित्रता की सखे!
मित्र हमने कभी आजमाये नहीं |
सर्जना शक्ति के रक्त से सिक्त है,
शोषकों के 'तुकाराम' जाये नहीं|
काव्य लिखते पढ़ाते रहे ध्यान से,
शिष्य प्यारे लगे हैं पराये नहीं |
मित्रता के लिए मित्रता की सखे!
मित्र हमने कभी आजमाये नहीं |
सर्जना शक्ति के रक्त से सिक्त है,
शोषकों के 'तुकाराम' जाये नहीं|
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