Wednesday, October 23, 2013

लोकतंत्र का राज..

 लोकतंत्र का राज..

गाँव-शहर की गली-गली में, गूँज रही आवाज़,
बनायें समता परक समाज|
बनायें समता परक समाज||

बहुत हो चुकी खींचातानी, चोर-लुटेरों की मनमानी,
अब तो दैनंदन जीवन में, दखल दे रहे ठग अज्ञानी|
भौतिकता ने नैतिकता का, छीन लिया है ताज,
बनायें समता परक समाज|
बनायें समता परक समाज||

सत्ता करती नहीं समीक्षा, अनाचार दिलवाये दीक्षा,
शब्दशक्ति को देनी होगी, न्यायनीति के हेतु परीक्षा|
टुकड़ों टुकड़ों में न बटेगा, युवा राष्ट्र में आज|
बनायें समता परक समाज|
बनायें समता परक समाज||

अच्छे कार्य कदापि न टालें, खुद सँभलें जनतंत्र सँभालें, 
वैज्ञानिक साँचों में अपने, वर्तमान जीवन को ढालें|
हमें सुरक्षित रखना ही है, लोकतंत्र का राज,
बनायें समता परक समाज|
बनायें समता परक समाज||

तुकाराम वर्मा

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