Monday, June 23, 2014

वायदों की आँधियाँ


लालची दृग देख पाये कब किसी की खोट,
वायदों की आँधियों ने हैं बटोरे वोट| 

अब नहीं पछताइये, अपने किये पर और;
हो सके तो कीजिये, कल के लिए कुछ गौर|
आ रहे परदेश से, काले करोड़ों नोट, 
वायदों की आँधियों ने हैं बटोरे वोट| 

अब न महगाई कहीं है और भ्रष्टाचार,
ला रही अच्छे दिवस बदली हुई सरकार| 
खाइये बादाम किसमिस कागजी अखरोट,
वायदों की आँधियों ने हैं बटोरे वोट| 

अब उपेक्षित रो रहे शोषित दलित कमजोर,
अर्थवानों ने बनाया इन सभी को ढोर|
चुपचाप सहना सीखिये पड़ रही जो चोट,
वायदों की आँधियों ने हैं बटोरे वोट| 

त्याग को हैं त्याग बैठे भोगवादी लोग,
फैला हुआ हर ओर है बस लूटने का रोग|
चल रही व्यापारियों की अब अनैतिक गोट, 
वायदों की आँधियों ने हैं बटोरे वोट|
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