जर जोरू जमीन भी छीनी जाने लगी कमेरों की|
अधिवक्ता बन गई व्यवस्था डाकू चोर लुटेरों की||
बातों से बरसे चतुराई, कामों में झलके ठकुराई,
सत्ता के सातों सुख भोगें, ऊपर से बनते रघुराई|
उजियारे के अभियानों में, घटी न पीर अँधेरों की|
अधिवक्ता बन गई व्यवस्था डाकू चोर लुटेरों की||
कन्याओं के भ्रूण गिराते, अन्यायों को गले लगाते,
ठगुआ पंचायत लगवाकर; निर्दोषों को सजा सुनाते|
क्रूर प्रशंसा करते दिखते, कुछ जंगल के शेरों की|
अधिवक्ता बन गई व्यवस्था डाकू चोर लुटेरों की||
जो हैं सरकारी सुविधायें, उन्हें गरीबे देख न पायें,
नाम निर्धनों का ले लेके, धनवानों को गले लगायें|
कड़वी औषधि अब पीनी है, सब को हर्र बहेरों की|
अधिवक्ता बन गई व्यवस्था डाकू चोर लुटेरों की||
अधिवक्ता बन गई व्यवस्था डाकू चोर लुटेरों की||
बातों से बरसे चतुराई, कामों में झलके ठकुराई,
सत्ता के सातों सुख भोगें, ऊपर से बनते रघुराई|
उजियारे के अभियानों में, घटी न पीर अँधेरों की|
अधिवक्ता बन गई व्यवस्था डाकू चोर लुटेरों की||
कन्याओं के भ्रूण गिराते, अन्यायों को गले लगाते,
ठगुआ पंचायत लगवाकर; निर्दोषों को सजा सुनाते|
क्रूर प्रशंसा करते दिखते, कुछ जंगल के शेरों की|
अधिवक्ता बन गई व्यवस्था डाकू चोर लुटेरों की||
जो हैं सरकारी सुविधायें, उन्हें गरीबे देख न पायें,
नाम निर्धनों का ले लेके, धनवानों को गले लगायें|
कड़वी औषधि अब पीनी है, सब को हर्र बहेरों की|
अधिवक्ता बन गई व्यवस्था डाकू चोर लुटेरों की||
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