Friday, July 18, 2014

"लम्बे-लम्बे हाथ"

"लम्बे-लम्बे हाथ"

गाँव-गाँव में नगर-नगर में, नारे लगें अजीब,
सलामी इनको दो| 
सलामी इनको दो||

दरिन्दे वैभवता के साथ, बहुत हैं लम्बे-लम्बे हाथ,
यही बनवाते हैं सरकार, बने हैं राजनीति के नाथ|
सलामी इनको दो|
सलामी इनको दो||

वक्त की पहचानों आवाज़, बढ़ेगा शैतानों का राज,
गरीबों की करिये बस बात, लुटेरे लूट रहे जो लाज|
सलामी इनको दो|
सलामी इनको दो||

नहीं सत्ता से कुछ उम्मीद, सिर्फ उसको देनी ताकीद,
समस्याओं से वो अनजान, मगर उसके खाते में दीद| 
सलामी इनको दो|
सलामी इनको दो||

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