Monday, August 4, 2014

रिश्ते पुराने

छिपाने के लिए नाकामियाँ कितने बहाने हैं?
बदल सकते नहीं सरकार से रिश्ते पुराने हैं|

समस्यायें, समस्यायें बढ़ाना काम है जिनका,
उन्हें तो वोट लेने को बड़े सपने दिखाने हैं|

गरीबों की कराहों से दुखी जो नैन भर आते,
उन्हें हर हाल में हारे- थके इन्सां बचाने हैं|

चलों हम भी तुम्हारे ध्येय के साथी बने जाते, 
दबे जो बोझ से उन पर लदे बोझे उठाने हैं|

सुना है भूल जाते लक्ष्य भी सत्ता सुगन्धों में,
सदा यह ध्यान रखिये वायदे पूरे निभाने हैं| 

हज़ारों साल बीते फर्क तो आया नहीं दिखता,
'तुका' युगबोध के नूतन सरस रस्ते बनाने हैं|

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