Thursday, September 25, 2014

ज्ञानवाणी






हमारी तुम्हारी कहानी पुरानी,
नये जोश में जिंदगानी पुरानी|
लुभाने लगी लालची लोचनों को,
गगन चूमती राजधानी पुरानी|
नये दौर के घोंसलों में सुबह से, 
कथा गूँजती आसमानी पुरानी|
मिला वक्त से खादपानी पुनः तो,
महकने लगी रातरानी पुरानी|
जिसे खोजते-खोजते थक गये थे,
मिली गेह में वो निशानी पुरानी|
तुकाराम यह तो बताओ सभी को,
न होती कभी ज्ञानवाणी पुरानी|

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