Thursday, October 2, 2014

नाचते दिखते हैं कुछ मोर


हो रही जय-जय चारों ओर,
नाचते दिखते हैं कुछ मोर, 
प्रदर्शन अच्छा है प्रदर्शन अच्छा है|
मगर कुछ सोचो भी श्रीमान,
बढ़ रहा प्रचलन में अज्ञान,
समस्यायें उठ रही अनेक -
ज़िन्दगी हुई नहीं आसान||
नीर से भरी आँख की कोर...
निराशा भरी नहीं है बात,
रुके हैं नहीं घात-संघात,
दरिंदे घूम रहे आज़ाद-
पनपता पाखंडी उत्पात|
खा रहे खूब मलाई चोर...
लग रही प्रतिबंधित अभिव्यक्ति,
दिख रही व्यवहारों में भक्ति,
प्रफुल्लित अभी जीत के मीत-
तड़पती दिखती है अनुरक्ति|
आज भी हावी हैं सहजोर...

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