Thursday, November 20, 2014

रहवरी देखिये


रहजनों को मिली रहवरी देखिये,
बिछ रही कथरियों पर दरी देखिये|
खलबली से जुड़े जो उन्हीं की हुई, 
अब तबीयत बहुत है हरी देखिये|
हर जगह पर पड़ी गंदगी देख के,
झाडुओं की बढ़ी तस्करी देखिये|
चमचमाते ठगों की बजह से यहाँ, 
बढ़ रही है बहुत भुखमरी देखिये|
अब भरोसा करें आदमी क्यों नहीं,
मिल गया देश को संतरी देखिये|
यह कहा जा रहा जोर से है तुका, 
अब हुई खर्च में कमतरी देखिये|

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