Saturday, March 5, 2016

वर्तमान के बादशाह


मान लिया वे शहंशाह हैं, वर्तमान के बादशाह हैं|
लेकिन अनयशक्ति के पग में, जनता नहीं शीश देगी||
भूख-प्यास हत्यारी झेली, प्राण दिये हैं होली खेली|
तब जाकर आज़ादी पायी, बलिदानों की गूढ़ पहेली||
गाँव गरीब किसान कमेरे, चुप न रहेंगे चुप न रहेंगे,
सत्य कहेंगे सत्य कहेंगे, मान लिया वे .....
सम्विधान के हम रखवाले, खोलेंगे नफ़रत के ताले| 
उनसे भी तो मुक्ति मिलेगी, जो अंग्रेज खड़े हैं काले|| 
जमाखोर ठग शैतानों से, लड़ते आये और लड़ेंगे, 
सत्य कहेंगे सत्य कहेंगे, मान लिया वे....
सूर्य तिमिर से कब डरता है, पवन परार्थ चला करता है|
जीवन जल से भरा रहे जो, वह सबकी पिपास हरता है||
अत्याचारी, भ्रष्टाचारी, बदलेंगे निश्चय बदलेंगे-| 
सत्य कहेंगे सत्य कहेंगे, मान लिया वे ...

No comments:

Post a Comment