***गीत गाओ मीत***
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भ्रष्टाचारी के विरोध में, ध्वस्त हुआ अभियान,
ठगों ने बहुत किया हैरान|
ठगों ने बहुत किया हैरान||
गाँव गरीब किसान कहाँ हैं? छलियों में गुणवान कहाँ है?
केवल चतुराई की कथनी, बन सकती रहमान कहाँ है?
कभी करोड़ीमल हो सकते, नहीं आम इन्सान,
ठगों ने बहुत किया हैरान|
ठगों ने बहुत किया हैरान||
जिसने जीवन अर्थ न समझा, रहा स्वार्थ में उलझा-उलझा,
उसके कलुष कारनामों से, खिला चमन तक जाता मुरझा|
जाल- फरेबी ताने- बाने, बुनते है शैतान,
ठगों ने बहुत किया हैरान|
ठगों ने बहुत किया हैरान||
शब्द साधना जो करते हैं, धन से बहुत दूर रहते हैं,
जनता की आवाज़ उठाते, प्राणवायु बनकर बहते हैं|
कविता नहीं त्याग सकती है, शिवम सत्य ईमान,
ठगों ने बहुत किया हैरान|
ठगों ने बहुत किया हैरान||
मान लिया सत्ता है खोटी, शिखरों ऊपर दाढ़ी- चोटी,
चित्त गंदगी साफ करे जो, उसकी अक्ल हो गई मोटी|
एक -एक तीली झाड़ू की, बिखर गई श्रीमान|
ठगों ने बहुत किया हैरान|
ठगों ने बहुत किया हैरान||
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भ्रष्टाचारी के विरोध में, ध्वस्त हुआ अभियान,
ठगों ने बहुत किया हैरान|
ठगों ने बहुत किया हैरान||
गाँव गरीब किसान कहाँ हैं? छलियों में गुणवान कहाँ है?
केवल चतुराई की कथनी, बन सकती रहमान कहाँ है?
कभी करोड़ीमल हो सकते, नहीं आम इन्सान,
ठगों ने बहुत किया हैरान|
ठगों ने बहुत किया हैरान||
जिसने जीवन अर्थ न समझा, रहा स्वार्थ में उलझा-उलझा,
उसके कलुष कारनामों से, खिला चमन तक जाता मुरझा|
जाल- फरेबी ताने- बाने, बुनते है शैतान,
ठगों ने बहुत किया हैरान|
ठगों ने बहुत किया हैरान||
शब्द साधना जो करते हैं, धन से बहुत दूर रहते हैं,
जनता की आवाज़ उठाते, प्राणवायु बनकर बहते हैं|
कविता नहीं त्याग सकती है, शिवम सत्य ईमान,
ठगों ने बहुत किया हैरान|
ठगों ने बहुत किया हैरान||
मान लिया सत्ता है खोटी, शिखरों ऊपर दाढ़ी- चोटी,
चित्त गंदगी साफ करे जो, उसकी अक्ल हो गई मोटी|
एक -एक तीली झाड़ू की, बिखर गई श्रीमान|
ठगों ने बहुत किया हैरान|
ठगों ने बहुत किया हैरान||
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