कुछ लोग मुहब्बत के घर में नफ़रत की बातें करते हैं,
कुछ नफ़रत सहते है फिरभी चाहत की बातें करते हैं|
वे नायक हैं व्यावहारहीन आदत की बातें करते हैं
जिसकी न इबारत पढ़ सकते उस खत की बातें करते हैं|
जिनको इंसानी बोध नहीं इंसानों -सा व्यवहार नहीं,
वे लूट रहे पर इज्जत को इज्जत की बातें करते हैं|
इस दुनिया का दस्तूर यही थोड़ा-सा अर्थ चढ़ा करके,
ईश्वर से अधिक चाहने को मिन्नत की बातें करते हैं|
उन लोगो को सम्मान लाभ जनता से मिलता रहता जो,
नेताओं के घर पर जाकर कसरत की बाते करते हैं|
उनके चिंतन को मान तुका क्यों साहित्यिक जीवन में हो,
जो केवल शोहरत पाने को दौलत की बातें करते हैं|
कुछ नफ़रत सहते है फिरभी चाहत की बातें करते हैं|
वे नायक हैं व्यावहारहीन आदत की बातें करते हैं
जिसकी न इबारत पढ़ सकते उस खत की बातें करते हैं|
जिनको इंसानी बोध नहीं इंसानों -सा व्यवहार नहीं,
वे लूट रहे पर इज्जत को इज्जत की बातें करते हैं|
इस दुनिया का दस्तूर यही थोड़ा-सा अर्थ चढ़ा करके,
ईश्वर से अधिक चाहने को मिन्नत की बातें करते हैं|
उन लोगो को सम्मान लाभ जनता से मिलता रहता जो,
नेताओं के घर पर जाकर कसरत की बाते करते हैं|
उनके चिंतन को मान तुका क्यों साहित्यिक जीवन में हो,
जो केवल शोहरत पाने को दौलत की बातें करते हैं|
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